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पारिवारिक जमीन का बंटवारा अब होगा आसान, बिहार सरकार बनाने जा रही है कानून

Niti Post - July 22, 2021
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बिहार में जमीन को लेकर विवाद परिवार एवं समाज में अशांति का सबसे बड़ा कारन है| पारिवारिक विवाद के चलते दशको तक पुश्‍तैनी जमीन का बंटवारा नहीं हो पता है| जिसके कारण मारपीट से लेकर थाना - कचहरी तक की नौबत आ जाटी है| इसका असर राज्य की कानून व्यवस्था पर भी पड़ता है| अदालतों में बड़ी संख्या में भूमि विवाद (Land Dispute) के मामले आने से उनका समय पर निपटारा भी नहीं हो पाता है और वर्षो तक अदालतों में पड़े रहते है|

ऐसी स्थिति को देखते हुए बिहार सरकार एक ऐसा कानून बनाने पर विचार कर रही है जिससे आपसी सहमति के आधार पर भूमि विवाद सुलझाने में मदद मिल सके। बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय (Ram Surat Rai) का कहना है कि समाज – परिवार में मामूली बातों को लेकर भूमि विवाद हो रहा है। इससे कानून-व्यवस्था की समस्या तो उत्पन्न हो ही रही है, जमीन का उपयोग भी बाधित हो जा रहा है।

परिवार में बहुमत के आधार पर बंटवारे को मान्‍यता

राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि बिहार सरकार एक ऐसे कानून पर विचार कर रही है, जिससे सहमति आधारित जमीन बंटवारा को कानूनी रूप दिया जा सके| अभी उसके प्रारूप पर विचार हो रहा है। पुश्तैनी जमीन के बंटवारा में सबसे बड़ा अड़चन एवं विवाद का कारण परिवार के सभी सदस्यों के बीच आपसी सहमती न हो पाना है। परिवार के अधिकतर सदस्य किसी सहमती पर पहुँच भी जाते लेकिन अगर परिवार का एक सदस्य भी उसको मानने से मना कर देता है तो बटवारा तो रुक ही जाता है उल्टे झगडा एवं विवाद पैदा हो जाता है|

परन्तु, जब बिहार सरकार का नया कानून आ जायेगा तो परिवार के बहुमत सदस्यों की राय को कानूनी रूप दिया जा सकेगा और कोई एक व्यक्ति पुरे परिवार की सहमती को ठेंगा नही दिखा पायेगा। उदाहरण के लिए मान लीजिये किसी परिवार में 5 सदस्य हैं और उनमें से कम से कम 3 सदस्य बंटवारा के किसी एक स्वरूप पर सहमत हैं, तो ऐसे मामलों में सहमति पत्र तैयार कर उसे कानूनी मान्यता दे दी जाएगी। परिवार के कितने प्रतिशत सदस्यों का सहमत होना जरुरी है इसपर अभी विचार चल रहा है|

सहमति पत्र पर परिवार के साथ साथ पंचायत मुखिया का भी होगा हस्‍ताक्षर

राजस्व मंत्री का कहना है की सहमति पत्र पर परिवार के बहुमत सदस्यों के अलावा, पंचायत के मुखिया, मुखिया चुनाव में निकटतम प्रतिद्वंद्वी यानी जो दुसरे स्थान पर रहे हो, वार्ड सदस्य और चकबंदी एवं राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारी दस्तखत करेंगे। जब ऐसे सहमती पत्र को कानूनी मान्यता मिल जाएगी तो अल्पमत सदस्यों के लिए इस तरह के सहमति पत्र को मानना कानूनी तौर पर बाध्यकारी होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सर्वे अभियान चल रहा है और चकबंदी शुरू होने से पहले सभी तरह के पारिवारिक भूमि विवाद का निबटारा जरूरी है।

रामसूरत राय ने कहा कि सरकार ने फैसला किया था कि जिसके नाम से जमीन की जमाबंदी है, वही जमीन की रजिस्ट्री कर सकता है। इससे बहुत हद विवाद कम होने की संभावना थी। लेकिन अदालत में इस आदेश को चुनौती देने के कारण इस पर अमल नहीं हो पाया। सरकार कोशिश कर रही है कि इस मामले में लगी अदालती रोक जल्द से जल्द हट जाए। विवाद का एक बड़ा कारण यह भी है कि बिना जमाबंदी वाले रैयत जमीन की बिक्री कर देते हैं। जमीन पर कब्जे को लेकर लंबी लड़ाई चलती है।

 

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