सोमवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Karnataka) बी एस येदियुरप्पा (BS Yediyurppa) द्वारा अपने पद से त्यागपत्र की घोषणा के साथ उनके उत्तराधिकारी को लेकर के चर्चा शुरू हो गया है| भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) जिसको भी बीएस येदियुरप्पा के उत्तराधिकारी के रूप में चुनेगी उसमें येदियुरप्पा की राय एवं पसंद का ख्याल रखा जाएगा। येदियुरप्पा कर्नाटक में भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा है। कर्नाटक में भाजपा का मूल वोट बैंक और आधार लिंगायत (Lingayat) समाज है और येदियुरप्पा लिंगायत के सबसे बड़े नेता। कर्नाटक में भाजपा ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाएगी जिससे उसके मूलभूत बैंक लिंगायत समाज में कोई नाराजगी पैदा हो।
मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल लिंगायत चेहरे
यदि भारतीय जनता पार्टी किसी लिंगायत को ही नया मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लेती है तो ऐसी परिस्थिति में कर्नाटक के वर्तमान उपमुख्यमंत्री 61 वर्षीय लक्ष्मण सावाडी (Laxman Savadi), राज्य के वर्तमान गृहमंत्री तथा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष 61 वर्षीय बसवाराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) तथा राज्य सरकार में मंत्री तथा नीरानी इंडस्ट्रीज के मालिक 56 वर्षीय मुर्गेश नीरानी (Murugesh Nirani) का नाम प्रमुखता से शामिल है। बसवाराज बोम्मई कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस आर बोम्मई के बेटे है|
मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल गैरलिंगायत चेहरे
यदि भारतीय जनता पार्टी लिंगायत के अलावा अन्य नामों पर भी विचार करती है तो उस स्थिति में वर्तमान उपमुख्यमंत्री 52 वर्षीय डॉ सीएन अश्वथनारायण (Dr. C. N. Ashwathnarayan), केन्द्रीय मंत्री 58 वर्षीय प्रहलाद जोशी (Prahlad Joshi), राज्य सरकार में पूर्व मंत्री तथा वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव 53 वर्षीय सीटी रवि (CT Ravi) का नाम नए मुख्यमंत्री के दौड़ शामिल हो सकता है।
दौड़ में राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष का नाम भी
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष (BL Santosh) का नाम भी समय-समय पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में चलता रहता है। 55 वर्षीय बीएल संतोष के साथ दिक्कत यह है कि वे संघ (RSS) से भारतीय जनता पार्टी में आए हैं तथा कभी चुनावी राजनीति में शामिल नहीं हुए। वह कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा के धुर विरोधी भी माने जाते हैं। इसके अतिरिक्त वह ब्राह्मण है तथा कर्नाटक में ब्राह्मण आबादी मात्र 3 प्रतिशत है।
उनके पक्ष में सबसे बड़ी बात यह है की अविवाहित बीएल संतोष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS के पूर्णकालिक प्रचारक है। राज्य में पार्टी संगठन पर उनकी जबदस्त पकड़ है। युवा नेता प्रताप सिम्हा एवं तेजस्वी सूर्या को आगे बढ़ाने का श्रेय इन्हें ही जाता है। सीटी रवि को भी बीएल संतोष ने ही राष्ट्रीय राजनीति में लाया| पार्टी की केन्द्रीय नेतृत्व पर भी बीएल संतोष की अच्छी पकड़ है| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी RSS के पूर्णकालिक प्रचारक थे तथा भाजपा के संगठन महासचिव थे जब संगठन महासचिव को किसी राजनीतिक पद पर नियुक्त नहीं करने की परम्परा को तोड़ते हुए उन्हें सीधे गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया था| तो क्या एक बार फिर से वह परंपरा टूटेगी और बीएल संतोष कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनेगे?
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