पिछले दिनों असियन-भारत वर्चुअल शिखर सम्मलेन हो या कुछ दिन पहले हुए भारत – इटली वर्चुअल शिखर सम्मलेन, इस दौरान किसी एक चीज ने ध्यान आकृष्ट किया तो वह था प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पीछे का बैकड्राप|
If #Mahabalipuram was the backdrop in our #Italy summit, it is #Sarnath now. Indians feel the change. No more spaces for graveyards. https://t.co/Wpt7Ja6u8i
— Tarun Vijay தருண் விஜய் भारत के वीर सैनिकों की जय (@Tarunvijay) November 12, 2020
सामान्यतः इस तरह की परिस्थितियों में पहले ताज महल, कुतुबमीनार या लालकिला जैसे स्मारक हुआ करते थे| ऐसा लगता था मानो इनके अतिरिक्त भारत में कोई और स्मारक हो ही नही| लेकिन जबसे नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने है तबसे परिस्थितियां बदलने लगी है| भारत अब ताज महल एवं कुतुबमीनार से आगे बढ़ चला है| देश के अन्य सैकड़ो – हजारों साल पुरानी स्मारके जो भारत की सभ्यता, संस्कृति एवं स्थापत्यकला कला की अद्भुद विरासत है को उनका समुचित स्थान प्राप्त होने लगा| इससे न सिर्फ देश की समृद्ध एवं विविध विरासत एवं स्थापत्यकला को विश्व मंच पर पहचान मिलता है बल्कि पर्यटकों को भी अपनी तरफ आकर्षित करता है| इससे देश में पर्यटन उद्योग तथा रोजगार को भी बढावा मिलता है|
भारत – असियन शिखर वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पीछे जो बैकड्राप लगा था उसमे सारनाथ की छाया चित्र थी| बनारस (वाराणसी) के नजदीक स्थित सारनाथ बौध धर्मावलम्बियों के लिए बहुत ही पवित्र तीर्थ स्थल है| यही पर पहली बार भगवान बुद्ध ने धम्म की शिक्षा दी थी| असियन में बौद्ध धर्मावलम्बी देशो की संख्या बहुत ज्यादा ऐसे में सारनाथ की छाया चित्र लगाने से न सिर्फ एक अच्छा सन्देश जाता है बल्कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने में सहायक साबित होगा|
इसी तरह भारत – इटली शिखर वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पीछे जो बैकड्राप लगा था उसमे तमिलनाडु स्थित महाबलीपुरम की छायाचित्र लगाया गया था| महाबलीपुरम अद्वितीय एवं अद्भुद स्मारक है| 7वीं एवं 8वीं सदी के दौरान पल्लव राजाओ द्वारा कोरोमंडल तट के चट्टानों को खोद-खोद कर उसे इस स्मारक का रूप दिया गया|
इस शहर का नाम महान दानवीर असुर राजा महाबली के नाम पर रखा गया था। महाबली ने विष्णु के वामन अवतार को तीन पग भूमि दान में दी थी।
महाबलीपुरम को विशेषकर रथो एवं मंडपों के रूप में बने मंदिरों के लिए जाना जाता है| पंच रथ के पांच स्मारकों को पूरी तरीके से रथ के समान बनाया गया है जो सभी ग्रेनाइट पत्थर को खोद-खोद कर बनाए गए हैं। इसमें महाभारत की कहानी को दर्शाते हुए कलाकृतियां देखने को मिलती हैं। यह सभी रथ बड़े से छोटे आकार में इस प्रकार से हैं- धर्मराज रथ, भीम रथ, अर्जुन रथ, नकुल एवं सहदेव रथ और द्रौपदी रथ।
इसके अतिरिक्त शोर मंदिर, गंगा अवतरण का स्मारक, टाइगर गुफाएं तथा कृष्ण की मक्खन गेंद भी है|
यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साईट के रूप में शामिल महाबलीपुरम के स्मारक बहुत ही बिहंगम दृश्य प्रस्तुत करते है| यही पर भारत – चीन शिखर वार्ता भी हुई थी|
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